
एक बेघर इंसान के पास सबसे बड़ी कमी उसकी मूलभूत आवश्यकता उसके सर पर छत की कमी की होती है। जिसकी वजह से दूसरी समस्यायें पैदा होती हैं। वें समस्यायें एक दूसरे को और मजबूती प्रदान करते हुये उस इंसान को सड़क की उस जिंदगी में कैद कर देती हैं। नीचे दिये गये चित्र में हम एक इंसान को बेघर रखने के लिये उन परिधितियों के ऑपरेशन को समझ सकते हैं।
एक सड़क पर रहने वाले व्यक्ति के पास कोई घर नहीं होता है, इसलिये कोई निवास प्रमाण पत्र भी नहीं होता, जिसकी विश्वसनीयता और पात्रता और पहचान पत्र के सबूत के तौर पर आवश्यकता होती हैं। पहचानपत्र ना होने की वजह से उन्हें अच्छे वेतन वाला रोजगार नहीं मिल पाता है। परिणाम स्वरुप बेघर को अपने आप नहीं हो पाती है कि कोई अच्छी बचत की जा सके। क्योंकि वें बचत इकठ्ठी नहीं कर पाते हैं इसलिये वे मुंबई में रहने के लिये जरुरी जमा राशि और भाड़ा अदा नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार बिना छत वाला व्यक्ति इस चक्र में फंसकर रह जाता है – कोई पहचान पत्र नहीं – कम वेतन का काम – कोई बचत नहीं – कोई घर नहीं – बिना बाहरी सहायता के बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं। इस चक्र में हर पॉईंट का अपना एक उपचक्र है जो बड़े घरविहीनता के चक्र को मजबूती प्रदान करता है और व्यक्ति को सड़क पर बनाये रखता है। वें चक्र इस प्रकार हैं –
a) पहचान चक्र
b) कार्य चक्र
c) बचत चक्र
d) नशे की लत का चक्र
एक बार घरविहीनता में आने के बाद ज़िन्दगी की प्रतिष्ठा और सम्मान छिन जाता है, व्यक्ति का आत्मविश्वास खो जाता है और वह असमर्थ हो जाता है।
घरविहीनता की समस्या को देखने के और बहुत सारे आयाम और नजरिया हैं। हालांकि इस आवश्यकताओं के आंकलन की स्टडी के लिये, समस्याओं की स्पष्टता और सुचारू रूप से नियंत्रण के लिये इस तरह की रुपरेखा प्रयोग में लायी गयी है। इससे इस बात को नकारा नहीं जा रहा है कि दूसरे तरीकों प्रत्यक्ष या गुप्त, उम्र के गुप और घरविहीनता के कारणों के आधार पर अपनायें गये तरीकों पर गौर ना की जाये।